मकराना । सनातन पंचांग के अनुसार सितंबर माह एक विशेष खगोलीय घटनाओं का साक्षी बनने जा रहा है। इस दौरान मंगल, शुक्र और सूर्य का गोचर तो होगा ही, साथ ही 7 सितंबर 2025 को साल का दूसरा पूर्ण चंद्रग्रहण भी लगेगा। इस खगोलीय घटना के समय सुपर ब्लड मून भी देखने को मिलेगा, जब चंद्रमा सुर्ख लाल रंग में दिखाई देगा। वह ज्योतिषाचार्य पंडित विमल पारीक, मकराना के अनुसार यह ग्रहण शनि की राशि कुंभ और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में घटित होगा। इस दौरान चंद्रमा और राहु एक साथ कुंभ राशि में विराजमान होंगे। वहीं सूर्य और बुध सिंह राशि में युति करेंगे, जिससे बुधादित्य योग के साथ त्रिग्रही योग का निर्माण होगा। इसके अलावा इस सप्ताह समसप्तक, षडाष्टक, गजलक्ष्मी, नवपंचम और महालक्ष्मी जैसे राजयोग भी बनेंगे। वह सुपर ब्लड मून क्या और ये क्यो होता है। सुपर ब्लड मून उस समय बनता है जब पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के ठीक बीच में आ जाती है। पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य की नीली-बैंगनी किरणों को बिखेर देता है और लाल-नारंगी प्रकाश को मोड़कर चंद्रमा तक पहुंचाता है। इस कारण चंद्रमा लाल गोले जैसा चमकता दिखाई देता है। यही प्रक्रिया रेले प्रकीर्णन कहलाती है, जिसके कारण सूर्यास्त और सूर्योदय भी लाल रंग में नजर आते हैं। एव ग्रहण का समय भारतीय समयानुसार विरल छाया प्रवेश : रात्रि 8:58 बजे, स्पर्श : रात्रि 9:57 बजे, समिलन : रात्रि 11:01 बजे, मध्यकाल : रात्रि 11:42 बजे, उन्मीलन : रात्रि 12:23 बजे, मोक्ष : प्रातः 2:25 बजे, सूतक काल प्रारंभ : दिन में 12:57 बजे से वह इन राशियों पर विशेष प्रभाव रहेगा, मेष : सुखद, लाभकारी, वृषभ : सुख, संपदा वृद्धि, मिथुन : मान-सम्मान में वृद्धि, कर्क : मानसिक कष्ट, प्रपीडा विकार, सिंह : मनोविकार, तनाव, कन्या : विकास और सकारात्मक प्रतिफल, तुला : मानसिक अस्थिरता, यात्रा योग, वृश्चिक : चिंता, विवाद, प्रवास, धनु : सुखद और लाभकारी, मकर : अपव्यय और चिंता, कुंभ : शारीरिक विकार, कष्ट, मीन : आर्थिक चिंता, अवसाद चंद्रग्रहण को नंगी आंखों से सुरक्षित रूप से देखा जा सकता है। छोटे-बड़े सभी लोग इस नजारे का आनंद ले सकते हैं। हालांकि टेलीस्कोप या दूरबीन से देखने पर चंद्रमा की सतह और भी स्पष्ट नजर आएगी। शहर की रोशनी से दूर किसी खुले मैदान या ऊंचाई वाली जगह पर देखने से बेहतर अनुभव मिलेगा। वह ग्रहण के दौरान क्या न करें। ग्रहण काल में भोजन न करें, पूजा स्थलों की मूर्तियों को स्पर्श न करें और उन्हें पर्दा ढक दें। कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य न करें। गर्भवती महिलाओं को बाहर नहीं निकलना चाहिए और ग्रहण देखना वर्जित है। नुकीली वस्तुओं (चाकू, सुई) का प्रयोग न करें। आग जलाना, खाना पकाना या पानी-भोजन खुला छोड़ना वर्जित है। एव ग्रहण काल में क्या करें। भोजन और जल में कुशा या तुलसी पत्र डालें। ग्रहण काल साधना और आराधना के लिए शुभ है। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें और वस्त्र बदलें। यह खगोलीय घटना भारत समेत विश्व के कई हिस्सों में साफ-साफ दिखाई देगी। लोगों को इसे सुरक्षित रूप से देखने और पारंपरिक मान्यताओं का पालन करने की सलाह दी गई है।


