Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी का पर्व आज धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस खास दिन पर भक्त मां महागौरी की आराधना करते हैं, जिन्हें सुख-शांति की देवी माना जाता है। महाअष्टमी के दिन कन्या पूजन की परंपरा का विशेष महत्व है, जो नवरात्र के समापन का प्रतीक होती है। आइए जानते हैं इस पावन अवसर पर कन्या पूजन और संधि पूजन के शुभ मुहूर्त।
महाअष्टमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
महाअष्टमी की तिथि 29 सितंबर की शाम 4 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 30 सितंबर की शाम 6 बजकर 06 मिनट तक है। इस दिन कन्या पूजन के लिए पहला मुहूर्त सुबह 5 बजकर 01 मिनट से 6 बजकर 13 मिनट तक है। दूसरा मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 11 मिनट तक है। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त भी विशेष रूप से शुभ माना जाता है, जो सुबह 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इन समयों में कन्या पूजन कर आप देवी की कृपा पा सकते हैं।
जानें कैसे होता है कन्या पूजन
कन्या पूजन के लिए कम से कम 9 कन्याओं और 1 छोटे बालक को आमंत्रित करना चाहिए। इन्हें एक दिन पहले आदरपूर्वक उनके घर जाकर बुलाना होता है। जब ये बच्चे आपके घर आएं, तो उनके पैर साफ पानी से धोकर, तिलक लगाकर सम्मानित करें। फिर उन्हें आरामदायक जगह पर बैठाकर उनकी पसंद का भोजन कराएं। भोजन के बाद, अपनी सामर्थ्य के अनुसार उन्हें उपहार दें और आशीर्वाद प्राप्त करें।
कन्या पूजन के नियम और महत्व
महाअष्टमी पर हर तिथि की अलग-अलग कन्याओं की पूजा की जाती है। 2 वर्ष की कन्या के पूजन से दुख और दरिद्रता दूर होती है, जबकि 3 वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति का रूप मानी जाती है, जिससे धन-समृद्धि आती है। 4 वर्ष की कन्या कल्याणी होती है, जो परिवार के कल्याण का प्रतीक है। इसी तरह, हर उम्र की कन्या का पूजन विशेष फलदायी होता है, जैसे 9 वर्ष की कन्या के पूजन से शत्रुओं का नाश होता है।
इस महाअष्टमी पर, देवी महागौरी की कृपा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति करें और इस पावन पर्व को खुशी और भक्ति के साथ मनाएं।


