Rajasthan Cough Syrup news: सीकर और भरतपुर में बच्चों की मौत पर स्वास्थ्य विभाग की सफाई

Ass Pass Desk
By Ass Pass Desk - Sub Editor
3 Min Read

Rajasthan Cough Syrup news: राजस्थान में बच्चों की मौत से जुड़े खांसी की दवा विवाद ने स्वास्थ्य विभाग को सफाई देने पर मजबूर कर दिया है। भरतपुर और सीकर जिलों में हुई दो बच्चों की मौत के मामलों ने डेक्सट्रोमैथोरफन सिरप पर सवाल खड़े कर दिए थे। हालांकि, विभाग की जांच में पाया गया कि इन मौतों का सीधा संबंध इस दवा से नहीं है।

स्वास्थ्य विभाग की सफाई

स्वास्थ्य विभाग ने जांच रिपोर्ट के आधार पर स्पष्ट किया है कि दोनों मामलों में चिकित्सकों द्वारा यह दवा नहीं लिखी गई थी। बावजूद इसके, सीकर जिले में बच्चों के लिए प्रतिबंधित खांसी की दवा लिखने पर एक डॉक्टर और एक फार्मासिस्ट को निलंबित कर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद आरएमएससीएल ने संबंधित दवा की सप्लाई पर रोक लगा दी और तीन सदस्यीय कमेटी ने नमूने राजकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भेजे।

जानें क्या हुआ था भरतपुर में

भरतपुर के कलसाडा गांव के निवासी मोनू जोशी 25 सितंबर को खांसी-जुकाम के इलाज के लिए अस्पताल गए थे। वहां दी गई दवाओं में खांसी की दवा भी शामिल थी, जिसे मोनू ने अपने तीन साल के बेटे गगन को बिना डॉक्टर की सलाह के दे दी। गगन पहले से निमोनिया से पीड़ित था, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई। हालांकि, समय पर इलाज मिलने से गगन की तबीयत में सुधार हुआ और उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई।

सीकर जिले में क्या हुआ

सीकर जिले के ग्राम खोरी में नित्यांश नामक बच्चे की मौत की भी जांच की गई। रिपोर्ट के अनुसार, बच्चे को बुखार और जुकाम की शिकायत पर अस्पताल में दिखाया गया था, लेकिन डॉक्टर ने डेक्सट्रोमैथोरफन की दवा नहीं लिखी थी। बच्चे की मां ने घर में पहले से रखी दवा दी, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई और वह सुबह बेसुध मिला। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

आगे की तैयारी और सलाह

इन घटनाओं के बाद विभाग ने सभी डॉक्टरों और आम जनता के लिए एडवाइजरी जारी की है। विभाग ने चिकित्सकों से प्रोटोकॉल का पालन करने और बच्चों को इस दवा को न लिखने की सलाह दी है। इसके अलावा, मरीजों को बिना डॉक्टर की सलाह के दवा का सेवन न करने की चेतावनी दी गई है। जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने बताया कि राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम पर 24 घंटे संपर्क किया जा सकता है। यह स्पष्ट हो गया है कि इन मौतों का सीधा संबंध खांसी की दवा से नहीं था, बल्कि गलत तरीके से दवा देने से समस्याएं उत्पन्न हुईं।

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