AI-171 हादसे पर उठे गंभीर सवाल: “फ्यूल कट ऑफ किसने किया?” पायलटों की बातचीत से बढ़ी जांच की चुनौती

Aas Pass Desk
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एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट अब विवादों में घिरती नजर आ रही है। इस रिपोर्ट ने पायलट समुदाय में गहरी चिंता और आशंका पैदा कर दी है। विमानन विशेषज्ञों और वरिष्ठ पायलटों ने रिपोर्ट की पारदर्शिता और तकनीकी व्याख्या को लेकर कई सवाल उठाए हैं।

रिपोर्ट में विरोधाभास, जानिए क्या है सवाल

एविएशन सेफ्टी एक्सपर्ट कैप्टन अमित सिंह ने कहा कि जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया गया है कि विमान का इंजन किस समय बंद हुआ। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 08:08:42 UTC के बाद फ्यूल कंट्रोल स्विच ‘कट ऑफ’ किया गया, वहीं टेकऑफ के तुरंत बाद Ram Air Turbine (RAT) के सक्रिय होने का भी उल्लेख है। दोनों घटनाओं के बीच तालमेल की कमी से रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर संदेह पैदा हो रहा है।

ALPA-I प्रमुख ने उठाया बड़ा सवाल: “स्विच किसने बंद किया?”

एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ALPA-I) के अध्यक्ष कैप्टन सैम थॉमस ने इस हादसे को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही उठाया – “फ्यूल कंट्रोल स्विच किसने बंद किया?” उन्होंने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि कॉकपिट में खुद पायलटों के बीच इस बात पर चर्चा हुई। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी नाराज़गी जताई कि हादसे के बाद विमान का इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर (ELT) सक्रिय क्यों नहीं हुआ।

सैम थॉमस ने जांच रिपोर्ट में किसी अधिकृत हस्ताक्षर की गैर-मौजूदगी और प्रक्रिया की गोपनीयता पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने मांग की कि जांच टीम में अनुभवी पायलटों को भी बतौर पर्यवेक्षक शामिल किया जाए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

“पायलट ने जानबूझकर फ्यूल बंद किया” – कैप्टन मोहन रंगनाथन

पूर्व बोइंग कमांडर और इंस्ट्रक्टर कैप्टन मोहन रंगनाथन ने इस मामले में और भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि फ्यूल कंट्रोल स्विच को जानबूझकर बंद किया गया था – पहले दायां और फिर कुछ सेकंड बाद बायां इंजन बंद हुआ। उनका कहना है कि यह कोई तकनीकी खराबी नहीं बल्कि मानव निर्णय था। उन्होंने रिपोर्ट को “धुंधली” और “संदेहास्पद” करार दिया।

“बोइंग की चुप्पी से सवाल और गहरे” – वरिष्ठ कमांडर

एक वरिष्ठ बोइंग कमांडर ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि यह तर्क देना कि पायलट ही जिम्मेदार हैं क्योंकि बोइंग ने कोई चेतावनी जारी नहीं की – यह पूरी तरह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि कई बार बड़ी कंपनियां तकनीकी खामियों को तब तक स्वीकार नहीं करतीं जब तक कई हादसे न हो जाएं। उन्होंने 2018 में हुए लायन एयर हादसे का उदाहरण देते हुए कहा, “तब भी सबसे पहले पायलट को दोषी ठहराया गया था, लेकिन बाद में डिजाइन दोष सामने आया।”

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