Friendship Day: आज की तेजी से बदलती दुनिया में दोस्ती का स्वरूप भी नया रूप ले रहा है। सोशल मीडिया और वीडियो कॉल्स के माध्यम से लोग जुड़ तो रहे हैं, पर भावनात्मक जुड़ाव में कमी सी महसूस होती है। तकनीक ने दोस्ती को नया आयाम दिया है, लेकिन ‘फिजिकल प्रेजेंस’ की कमी को पूरा नहीं कर पा रही है।
डिजिटल युग की दोस्ती
आजकल दोस्ती के मायने बदल गए हैं। आज की दोस्ती का अनुभव स्क्रीन पर होता है, चैट में बढ़ती है और रील्स व स्टोरीज में जीती जाती है। पहले घंटों साथ बैठकर बातें करना, सैर पर जाना और चाय के साथ हंसी-मजाक करना दोस्ती का हिस्सा होता था। अब ये सब कुछ मोबाइल स्क्रीन तक सीमित हो गया है। सोशल मीडिया, वीडियो कॉल, गेमिंग ऐप्स और इंस्टेंट मैसेजिंग ने लोगों को जोड़ने का तरीका ही बदल दिया है। दोस्ती अब एक ‘ऑनलाइन एक्टिविटी’ बन गई है।
सोशल मीडिया का प्रभाव
अब लोग फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, स्नैपचैट के जरिए मिलने लगे हैं। मीम्स शेयर करते हैं, वॉयस नोट्स भेजते हैं और वीडियो कॉल्स करते हैं। कई बार दोस्त ऐसे भी बन जाते हैं जिनसे कभी आमने-सामने मुलाकात नहीं हुई होती। खासकर युवाओं में यह चलन ज्यादा है। ऑनलाइन गेम्स के दौरान बनती टीमों में दोस्ती होती है, जो बाद में सोशल मीडिया पर भी जारी रहती है। इस नई शैली में इमोशनल सपोर्ट दिया जाता है, पर यह सब स्क्रीन के जरिए होता है। डिजिटल दोस्ती भले ही सुविधा देती हो, लेकिन भावनात्मक जुड़ाव में कमी देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया पर दोस्ती में दिखावे का पहलू ज्यादा होता है।
कोरोना काल में तकनीक की भूमिका
कोरोना के समय जब सामाजिक दूरी जरूरी हो गई थी, तब तकनीक ने लोगों को जोड़े रखा। वीडियो कॉल पर जन्मदिन मनाना, ऑनलाइन गेम्स में साथ समय बिताना, और ग्रुप चैट में बातें करना, यह सब उस दौर की दोस्ती के नए तरीके बन गए थे। तकनीक ने दोस्ती को नए आयाम दिए हैं। दूर बैठे लोग भी अब एक क्लिक में जुड़ सकते हैं, अपनी भावनाएं साझा कर सकते हैं। लेकिन ‘फिजिकल प्रेजेंस’ की कमी महसूस होती है। तकनीक ने दोस्ती को सीमाओं से मुक्त किया है, लेकिन इसे निभाने का तरीका भी बदल दिया है। अब दोस्ती निभाना मोबाइल नोटिफिकेशन, चैट रिप्लाई और वर्चुअल गिफ्ट्स तक सीमित हो गया है। असली दोस्ती वहीं टिकती है, जहां दिल से जुड़ाव होता है, चाहे वह ऑनलाइन हो या ऑफलाइन।