Bhilwara News: राजस्थान के भीलवाड़ा में हाल ही में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया है। सीताकुंड के जंगल में पत्थरों के नीचे दबा हुआ एक नवजात बच्चा मिला, जिसने मानवता को झकझोर कर रख दिया है।
जंगल में नवजात की खोज
भीलवाड़ा के बिजौलिया क्षेत्र के सीताकुंड जंगल में मंगलवार की दोपहर एक चरवाहा जब अपने पशुओं को चराने गया, तो उसने अचानक हल्की आवाज सुनी। पास जाकर देखने पर उसे पत्थरों के नीचे एक नवजात बच्चा मिला, जिसकी सांसें मुश्किल में थीं। बच्चे के मुंह पर फेवी क्विक लगी हुई थी, जिससे उसकी सांसें रुक रही थीं। चरवाहे ने तुरंत आसपास के लोगों को बुलाया, और सभी ने मिलकर बच्चे को बाहर निकाला और उसे अस्पताल पहुंचाया।
अस्पताल में इलाज और बच्चे की स्थिति
बिजौलिया अस्पताल में डॉक्टरों ने बच्चे की देखभाल शुरू की। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की हालत में सुधार हो रहा है, लेकिन पत्थरों के दबाव और फेवी क्विक के कारण उसका एक हिस्सा झुलस गया है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे की नाजुक त्वचा पर पत्थरों का भारी दबाव था, लेकिन उसकी धड़कनें जीवन की उम्मीद बनाए रहीं। अस्पताल में उसकी देखभाल की जा रही है, और डॉक्टरों को उम्मीद है कि वह जल्द ही पूरी तरह से ठीक हो जाएगा।
समाज के लिए एक चेतावनी
इस घटना ने समाज को गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया है। समाजशास्त्री अनिल रघुवंशी का कहना है कि यह घटना मानवता के लिए एक चेतावनी है। बच्चों की सुरक्षा हमारी प्रमुख जिम्मेदारी होनी चाहिए। समाजशास्त्री डॉ. गीतांजलि वर्मा के अनुसार, यह घटना न सिर्फ क्रूरता का मामला है, बल्कि यह समाज में बच्चों के प्रति बढ़ती उदासीनता को भी दर्शाती है। ऐसे मामले परिवार और सामाजिक संरचना की कमजोरी को उजागर करते हैं।
भविष्य की तैयारी
इस घटना ने सभी को बच्चों की सुरक्षा के प्रति अधिक जागरूक और संवेदनशील बनने की आवश्यकता का एहसास कराया है। समाज को इस तरह की घटनाओं से सबक लेते हुए बच्चों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। यह घटना मानवता को झकझोर देने वाली है और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसे दर्दनाक घटनाएं न हों। बच्चों की सुरक्षा के प्रति समाज को अधिक सतर्क और जिम्मेदार बनना होगा।


