SI Paper Leak Case: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, राजस्थान में सब-इंस्पेक्टर ट्रेनिंग पर रोक, जानें आगे की तैयारी

Ass Pass Desk
By Ass Pass Desk - Sub Editor
3 Min Read

SI Paper Leak Case 2021: राजस्थान में सब-इंस्पेक्टर भर्ती 2021 के पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति संजय करोल और मनमोहन की पीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट के निर्णय पर रोक लगाते हुए कहा कि जब तक हाईकोर्ट अंतिम निर्णय नहीं लेता, तब तक चयनित अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग पर प्रतिबंध रहेगा। कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह तीन महीने के भीतर मामले का निपटारा करे।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेश पर रोक लगाई, जिसमें चयनित अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक हाईकोर्ट इस मामले में अंतिम निर्णय नहीं लेता, तब तक किसी भी प्रकार की ट्रेनिंग नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस समीर की एकलपीठ के आदेश को भी बरकरार रखा, जिसमें पूरी चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया था। यह निर्णय पेपर लीक और भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं के गंभीर आरोपों के कारण लिया गया था।

राजस्थान सरकार की प्रतिक्रिया

राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने तर्क दिया कि चयनित अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग की अनुमति दी जानी चाहिए, हालांकि फील्ड पोस्टिंग पर रोक लगी रहे। यह तर्क हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेश पर आधारित था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक भर्ती प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठे हैं, तब तक सभी गतिविधियों पर रोक लगी रहेगी।

याचिकाकर्ताओं की दलीलें

मामले की सुनवाई के दौरान, मूल याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव शकधर ने पैरवी की। उन्होंने तर्क दिया कि पेपर लीक और अनियमितताओं के कारण पूरी भर्ती प्रक्रिया संदेह के घेरे में है, इसलिए चयनित अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग या नियुक्ति की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट को तीन महीने में अंतिम फैसला सुनाने का निर्देश दिया।

आगे की तैयारी

अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट पर टिकी हैं, जो तीन महीने के भीतर अंतिम निर्णय देगा। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक हाईकोर्ट अंतिम फैसला नहीं सुनाता, तब तक कोई भी ट्रेनिंग या नियुक्ति प्रक्रिया नहीं होगी। यह मामला भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और वैधता के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है।

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