दैनिक आस पास
@ रहीस खान
सीकर। शहर के बीचों-बीच बने कल्याण सर्किल की हालत आज जर्जर हो चुकी है। यह सर्कल करीब तीन साल पहले लाखों रुपये की लागत से बनाया गया था, लेकिन कुछ ही महीनों बाद से पत्थर उखड़ने लगे और प्लास्टर झड़ने लगा। आज स्थिति यह है कि जगह-जगह से लाल पत्थर की परत टूट चुकी है, सीमेंट धंस चुका है और सर्कल बदहाल दिखाई दे रहा है।




घटिया निर्माण का जीता-जागता सबूत
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस शान-शौकत और मजबूती के नाम पर यह निर्माण कराया गया था, वह सिर्फ़ कागज़ों तक ही सीमित रहा। मौके पर जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वे साफ़ दिखा रही हैं कि निर्माण के समय घटिया सामग्री और बेपरवाही बरती गई। आमतौर पर इस तरह के पत्थर और ढांचे दशकों तक टिके रहते हैं, लेकिन यह काम महज़ कुछ महीनों में ही उखड़ गया।
जनता में रोष, उठ रहे सवाल
राहगीरों और स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि यदि इतनी भारी लागत से बना ढांचा कुछ ही दिनों में टूट-फूट जाए, तो यह सीधे तौर पर ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत को दर्शाता है। लोगों ने आरोप लगाया कि काम के दौरान गुणवत्ता की अनदेखी की गई और सिर्फ़ खानापूर्ति कर दी गई।
मरम्मत की मांग और कार्रवाई की गुहार
लोगों का कहना है कि नगर परिषद और प्रशासन को तुरंत इसकी मरम्मत करवानी चाहिए और जिम्मेदार ठेकेदार व अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो, इसके लिए सख्त कदम उठाए जाने जरूरी हैं।
सवालों के घेरे में सिस्टम
कल्याण सर्किल का हाल यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर जब करोड़ो रुपये के विकास कार्य किए जाते हैं तो उनकी निगरानी कौन करता है? क्या सिर्फ़ जनता के पैसों की बर्बादी करना ही मक़सद रह गया है?


